मेरा चांद
मेरा चांद अक्सर मेरी खिड़की से झांक कर कुछ फुसफुसाता है मेरा चांद आधी अंधेरी रात से छुपता छुपाता चांदनी मेरे मुख पर बिखर जाता है मेरा चांद मुझसे मेरी ही मुलाकात करा कर अपने साथ खूब हंसता हंसाता है मेरा चांद मैं भी मायूसी में अमूमन मैं भी मायूसी में अमूमन उसी की आगोश में छुप जाया करती हूं उसी के शीतल स्पर्श में रात भर बतियाया करती हूं कह देती हूं बेझिझक सब हाल दिल का यह मुश्किल है, यह कशमकश, यह जद्दोजहद और यह तन्हाई मुस्कुराकर चांद भी कुछ यूं मुझे संभाल लेता है मेरी आंखों से टपकते आंसुओं को शबनम सा पलूस कर मीठी बाजार से बालों को सहलाता हुआ अपनी कहानी से जिंदगी का फ़लसफ़ा समझाता है कहता है कि रोज घटता-बढ़ता मैं कितना कुछ कहता हूं और जिंदगी के रास्तों पर यूं ही चलना सिखाता हूं ऊंची नीची राह की पगडंडियों पर मुस्कुरा कर आगे बढ़ते रहना सिखाता हूं चाहे खुद तुम ना भी हो कोई हस्ती सूरज की रोशनी से...