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My Story : Cycle

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साईकिल यार तन्मय मुझे एक बात बता, "ये जो नई लड़की अपनी क्लास में आई है, क्या नाम उसका?" चेतन ने अपना टिफिन बॉक्स मेरी तरफ सरकाते हुए मुझसे पूछा। मैंने भी बॉक्स उठाते हुए जवाब दिया : "कौन? शिखा!" "हाँ वही शिखा।" तुझे कैसी लगती है? चेतन का सवाल सुनकर मैं कुछ देर के लिए स्तब्ध रह गया, मैं उसकी इस बात का कुछ जवाब देता उससे पहले ही उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा : "मुझे तो बहुत घमंडी सी लगती है, ना किसी से बात करती है और ना ही क्लास में किसी के साथ घूमती है, बस हमेशा अकेले रहती है"। "नहीं यार, ऐसा नहीं है! वो अभी इस स्कूल में नई है, शायद इसीलिए"। "काहे कि नई! स्कूल खुले १ महीना हो गया, मासिक टेस्ट भी हो गए, अब तक तो सब नए पुराने हो चुके यार, चेतन बोला। तन्मय : "बात तो तू ठीक कह रहा है पर उसे किस बात का घमंड होगा?"  चेतन : "अपने टोपर होने का"। तन्मय : "टोपर!   (मुझे चेतन की बात सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ।) चेतन : "हाँ, क्लास ८ में उसने पूरे जिले में टॉप किया है, बस इसी बात का घमंड होग...

Sikh Guru Sahiban- Miri Piri Diwas

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"मीरी पीरी के मालिक, दाता बंदी छोड़ छेवीं पातशाही श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के प्रकाश पर्व की आप सभी को ढेरों बधाइयां"।। जो लोग नियमित रूप से सिख धर्म से अथवा गुरुद्वारा साहिब की सेवा से जुड़े हैं, वे जानते हैं कि आज के दिन लंगर में मिस्से (बेसन और अन्य अनाजों के मिश्रण से बने ) प्रशादे (रोटी), प्याज़ एवं लस्सी का स्वादिष्ट भोज संगत में परोसा जाएगा। अक्सर लोग त्योहारों को भोजन के नाम से याद रखते हैं जैसे: "मिस्से प्रशादे वाला गुरपुरब" । आज सभी बड़े चाव, श्रद्धा और भाव से इस पवित्र लंगर का आनंद ले रहे हैं। परंतु क्या किसी दिवस का अर्थ केवल स्वादिष्ट भोजन ग्रहण करना ही है? क्या हमें इस बात से अवगत नहीं होना चाहिए कि यह दिवस हम आखिर मना ही क्यों रहे हैं? इसके अलावा यदि हम थोड़ा संजीदगी से सोचें तो सिख धर्म भारतीय इतिहास का बहुमूल्य हिस्सा है। बहुत छोटे समय के इतिहास और अल्पसंख्यक होने के बावजूद भी सिख समुदाय का भारत एवं भारतीयता के साथ अटूट बंधन रहा है। परंतु विडंबना यह है कि, सिख इतिहास के बारे में औरों को तो क्या स्वयं नई पीढ़ी के सिख बच्चों को भी ज्यादा ...