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MY FAVORITE MEDITATION FORM

MY FAVORITE MEDITATION FORM M editation is a spiritual activity to enhance our mental and physical well being.  It gives an opportunity to live inside yourself and enjoy the beauty of universal truth that, The God is  inside us. It relaxes our mind and encourage the feeling of infinite happiness in every situation.  For me, it is like an energy drink, it gives me all the power to cope up with the ups and downs of life. Meditation is the only way to understand yourself by spending sometime within yourself along with the supreme powers of almighty. According to Wikipedia, Meditation can be defined as a practice where an individual uses a technique, such as focusing their mind on a particular object, thought or activity, to achieve a mentally clear and emotionally clam state. Meditation has been practiced since antiquity in numerous religious traditions and beliefs. In this article I am trying to share my thoughts and my experience with Meditation as   a W...

A True Story "आत्म बल"

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आत्म बल सामान्यतः जब हम किसी को हाथ, पैर या अन्य किसी अंग के बगैर देखते हैं, तो उन्हें अपंग या अपाहिज मान लेते हैं। पर कई दफा इनसान की इच्छा शक्ति उससे वह करवा लेती है जो सही सलामत दिखने वाले भी नहीं कर पाते। मेरे पापा बचपन से ही अपने बाएँ पैर से विकलांग थे। एक दुर्घटना में उनकी हिप बोन टूट गई थी। अनेक इलाज के बाद अन्ततः उनका बाया पैर दाएँ पैर की तुलना में करीब 3इंच छोटा और कमज़ोर था। ये कहानी है 1990 की, जून का महीना जब भीषण गरमी की चिलचिलाती दोपहर में सुनसान रास्तों पर कोई कोई ही नज़र आता है। शनिवार का दिन था, पापा का ऑफिस 2:30 बजे बंद हो जाता था। उस दिन मम्मी को बाज़ार में कुछ काम था, टाइम पर सब खत्म करके वह भी सीधा ऑफिस पहुँच गईं थीं ताकी दोनों साथ ही घर लौट सकें। दोनों स्कूटर पर सवार अपने घर की ओर चल पड़े। सिविल लाइन्स कॉलोनी से गुज़रते हुए पापा ने सामने से एक 11-12 साल की बच्ची को देखा, जो घबराई सी दौड़ी आ रही थी और उसके पीछे एक बौराया सा बैल आवाज़ें निकालता चला आ रहा था। पापा ने आव देखा ना ताव स्कूटर साईड पे लगाया और बच्ची को अपनी ओर खींचा और मम्मी को बोल कर उसे सड़क के म...

Hindi poems on "Khwab"

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Khwab हमने बनाया था ख्वाबों का गुलिस्तां, जहाँ जस्बातों की सतह पर प्यार के गुल खिले थे अपनेपन और इज़्ज़त के दरख्तों पर सुकून के रसीले फल लदे थे महक रहा था गुलज़ार अरमानों का मोहबतों के झूले बंधे थे उन झूलों पर झूलती मैं उन झूलों पर झूलती मैं, अपनी हर खवाहिश कि नुमाइश करती, ऊँचे ऊँचे तेज़ भर्ती थी। अपने वज़ूद पर इतराती, अपना अक्स झील में देखा करती.... अरे ! उस झील का ज़िक्र क्यों छूट गया..... जिसके पानी में प्यार बहता था। वो प्यार जो अहम है  मेरा जिसमें मैं ही मैं झलकती हूँ प्यार ऐसा की जिसकी आघोष में मेरे सारे एब छुप गए हैं कहीं। ख्वाब तो ख्वाब हैं, हकीकत तो नही हकीकत इतनी खुशनुमा नही होती यहाँ सब पर मैं नही मेरा वज़ूद हारा सा, बेमाने सा अपनी ख्वाबों की टोकरी उठाये  भटक रहा है यहाँ वहां.... ....