Start up with Boutique in Hindi

बुटीक : नारी सशक्तिकरण की नयी लहर

मानव संस्कृति की सबसे पहली पहचान रंग बिरंगे खूबसूरत परिधान और विभिन्न प्रकार के कपड़े ही होते हैं। आज के दौर को फैशन की दुनिया में क्रांति के रूप में देखा जा सकता है। छोटे बड़े बाज़ारों में बेमिसाल परिधानों की प्रदर्शनियों में लोगों की ख्वाहिशों का अक्स नज़र आता है।
इसके बावजूद भी इस क्षेत्र में इतनी मांग है की बड़ी बड़ी फ़ैक्टरियों के चलते भी बाज़ारों के हर मोड़ पर व्यक्तिगत नाप और स्टाइल के अनुसार सिलाई करवाने के लिए दर्ज़ी की दुकानें हुआ करती हैं। वर्तमान में इन दुकानों का आधुनिकरण बूटीकस जैसे स्टोर के रूप में हो गया है। सिलाई-कड़ाई का शौक और हुनर रखने वाली महिलाओं के लिए बुटीक का व्यवसाय बेहद शानदार विकल्प है। यदि आपकी रुचि फैशन में है और कुछ कर दिखाने की असीम इच्छा है तो आप अपने इस जुनून को वास्तविक रूप देकर अपनी आमदनी का बड़ा साधन बना सकतीं हैं।
बुटीक एक ऐसा रीटेल स्टोर होता है जहाँ आकर्षक फैशनेबल कपड़ों के अलावा उनसे संबंधित सामान, जूते, बैग्स और तो और गहने भी मौजूद होते हैं। बुटीक किसी भी फैशन स्टोर के लिए एक सामान्य शब्द है, आपको अपनी विशेषता के आधार पर अपने बुटीक की योजना बनानी है, यानी आपका बुटीक किस प्रकार के कपड़े बनाने में महारथ रखता है। जैसे:- किड्स फैशन, लेडीज सूट्स, कैज़ुअल्स, पारंपरिक परिधान या मैटरनिटी वेयर, स्पोर्ट्स वेयर आदि।
आप अपनी विशेषता के आधार पर अपने डिज़ाइन किये हुई परिधानों का संग्रह कर प्रदर्शित कर सकतीं है और ग्राहक की इच्छा के अनुसार डिज़ाइन करके बेच भी सकतीं हैं।

Case Study (केस स्टडी) :

इस संदर्भ में मेरी कुछ बहुत गुणी, बेहद अभिलाषी और सफल महिलाओं से मुलाकात हुई। जिन्होंने फैशन के क्षेत्र में अपनी जगह बनाई और आम से खास का सफर बड़ी खूबसूरती से तये किया। उनमें से कुछ कहानियों को संक्षिप्त में आपके साथ साझा करना चाहती हूँ।
सर्वप्रथम जो सामान्य बातें मुझे इन सभी से सुनने को मिली वह थी :

  • अपने हुनर और सपनों को वास्तविक रूप देने का vision होना बहुत ज़रूरी है।
  • अपने काम से संबंधित सभी बुनियादी बिंदुओं को ध्यान में रखा जाये तो काम शुरू करने और मंज़िल पाने में मुश्किलें कम आती है।
  • जब भी आप काम की शुरुआत करें तो अपना मन इस बात के लिए तैयार करें की सबसे पहले आपको फायदे से ज्यादा अपनी पहचान बनाने के बारे में सोचना होगा।
तो आइये देखते है इन महिलाओं ने अपने सपनों को पंख कैसे लगाए।
नई दिल्ली से श्रीमती बनर्जी जी ने अपना बुटीक "श्रीमती" के नाम से शुरू किया और इनके काम कि ख़ासियत उनके द्वारा तैयार की गई बा कमाल डिज़ाइनर साड़ियां हैं। ये भारत के विभिन्न प्रांतों के फैब्रिक्स और पारंपरिक कड़ाई (Aesthetic Designing) का बहुत क्रिएटिव इस्तेमाल करके unique उत्पाद तैयार करती हैं। श्रीमती बनर्जी का मानना है कि अपने काम को इतनी खूबसूरती से पेश करें की वो आपका Trade Mark कायम कर दे, ये आपको मार्किट में अलग पहचान दिलाने के लिए बहुत मददगार साबित होता है।
इनके उत्पादों में आकर्षण का केंद्र कश्मीर के सिल्क पर बंगाल का काथा स्टीच और राजस्थान के ब्लॉक प्रिंट के पैच वर्क से सुशोभित साड़ियां लोगों को बहुत लुभाती हैं इसके अलावा ऑर्गेन्डी और सिल्क फैब्रिक पर फ्री हैंड पेंटिंग जैसे कलात्मक डिज़ाइनों से ग्राहकों का मन मोह लेती हैं।
पंजाब से श्रीमती शरनजीत कौर जी ने अपने शौक़ को काम का रूप देकर बड़ी खूबसूरती और शिद्दत से अपना बुटीक स्थापित किया हुआ है, जिसका नाम सतगुर बुटीक है। ये हर तरह के लेडीज सुट्स फैशन और ट्रेंड के अनुसार तैयार करती हैं। इन्होंने मुझे बड़े गर्व से बतया की ये 3 रूल्स साथ अपना काम करतीं हैं और वे हैं Hard work, Excellent stitching and work on time.
राजस्थान से श्रीमती रीता सिंह जी ने सपना देखा की किसी के नीचे काम नहीं करना बल्कि खुद ही रोज़गार का साधन बनना है। अपने नीचे कई लोगों को जोड़ कर रीता जी ने अपने सपनों के साथ साथ बहुत सी आँखों को भी सपना दिखा दिया है। इन्होंने अपने बुटीक की प्रोडक्ट लाइन लम्बी रखी है जिसमें किड्स वेयर, महिलाओं के लिए डिज़ाइनर ड्रेसेस और तो और home furnishing items जैसे डिज़ाइनर बेड कवर और हाथ की तैयार की गई रजाइयां भी शामिल हैं।

बुटीक खोलने से पहले करें बजट की प्लानिंग:

कोई भी व्यवसाय शुरू करने से पहले यह निर्धारित कर लेना होता है, कि शुरुआत में सबसे आवश्यक किन चीजों पर खर्च करना होगा अथवा न्यूनतम कितनी राशि होने पर आपकी आवश्यकता पूरी हो सकती है। किसी भी काम को एक व्यावसायिक रूप देने के लिए सर्वप्रथम हमें अपने मस्तिष्क में कुछ चीजें सूचीबद्ध कर उन पर होने वाली लागत का आकलन कर लेना चाहिए। इसके बाद इस राशि की व्यवस्था जैसे अपनी जमा राशि का उपयोग करना अथवा लोन लेना आदि जो उपयुक्त लगे उस साधन का उपयोग कर अपने काम का श्री गणेश कर लें। आइये, कुछ ज़रूरी बिंदुओं पर नज़र डालते हैं।
आपकी शैली : जैसा की हमने पहले भी चर्चा की है कि सबसे प्रमुख ये सोचना है की आपको किस तरह का बुटीक खोलना है। ध्यान रहे आपकी स्पेशलिटी ही आपकी बुटीक की पहचान होगी।
जैसे:- किड्स फैशन, लेडीज सुट्स, कैज़ुअल्स, पारंपरिक परिधान या मैटरनिटी वेयर, स्पोर्ट्स वेयर आदि।
आप की निर्धारित शैली में प्रयोग होने वाले कपड़े एवं उन पर लगने वाली सजावटी चीजें जैसे धागे, बटन, ज़िप आदि पर कितना खर्च होगा।
सामान की सूची : अब अपनी शैली के परिधान बनाने के लिए जरूरी सामानों की सूची बनाइये, जैसे: सिलाई मशीन, ओवरलॉकिंग मशीन, कड़ाई की मशीन, बड़ी कटिंग टेबल, स्टैंड, रैक, और सिलाई से संबंधित सभी आवश्यक सामान। इस सूचि के सामने इनकी कीमत लिखें (याद रहे ये कीमत काल्पनिक न हो बल्कि सही मार्किट से रिसर्च करके ही लिखा हो) क्योंकि इस लमसम राशि का आपके पास होना अतिआवश्यक है।
इसके बाद ये देखें की इनमें से कितनी चीज़ें आपके पास उपलब्ध हैं ताकि आपको कम से कम शुरुआत में उन चीज़ों पर खर्च न करना पड़े।
वर्कर्स : माना आप खुद बहुत अच्छा सिलाई करतीं हैं पर बुटीक के बारे में सोचना है तो कुछ लोगों को अपने साथ जोड़ना ही होगा। शुरुआत में एक अच्छा टेलर, एक मशीन की कड़ाई का एक्सपर्ट, हाथ के काम लिए एक लड़की जो तैयार कपड़ों की तुरपाई, हुक, बटन आदि कर सके। कुछ चीज़ों के लिए आप बहार की दुकानों का सहारा भी ले सकतीं हैं पर फिर भी कोशिश करें बेसिक चीज़ों के लिए किसी और पर आधारित न रहे वरना काम टाइम पर नहीं हो पायेगा।
तो जो भी व्यक्ति आपके साथ जुड़े हैं उनको सरकारी मापदंडों एवं कौशल स्तर के आधार पर उनकी आये का खर्च लिखें।
जगह (वर्किंग और डिस्प्ले): अब ज़रुरत है एक ऐसी जगह की जहाँ कुछ मशीनें लगा कर ठीक से काम करने की पर्याप्त जगह हो। वैसे अगर जगह छोटी हो तो वर्किंग के लिए आप कोई अन्य स्थान भी ले सकतीं हैं। जैसे घर में किसी कमरे में सिलाई करवाई जाये और बहार डिस्प्ले कर सकतीं हैं। कई बार आप अपने डिस्प्ले के साथ वर्किंग का लुक रखना चाहती हों तो वो भी बहुत इंटरेस्टिंग लगता है, ऐसे में जगह को दिमाग में रखते हुए १ मशीन और वर्कर की सिटींग डिस्प्ले के साथ रख लें और बाकि काम वर्क-शॉप में करवाए। इस अरेंजमेंट का एक फायदा उन ग्राहकों को होता है जिनको खुद की कलाकारी से कोई ड्रेस बनवाना हो तो वे अपने आइडिया का रफ़ मॉडल वहीँ बनवा कर देख सकतीं हैं। वर्क-शॉप की सेटिंग और माहौल आपके वर्कर्स के अनुकूल होगा तो वे भी मन से सुन्दर काम करके दिखाएँगे।
अब डिस्प्ले का तो आप जानती ही हैं की बहुत बड़ा रोले है आपके बुटीक में। जितना आकर्षक डिस्प्ले कर सकतीं हैं कीजिये। ये स्थान आपकी कलाकारी को दर्शाने के लिए सफ़ेद कैन वास के जैसा होगा। यहाँ ग्राहकों को आपकी सोच, समझ और क्रिएटिविटी का नज़ारा देखने को मिलेगा और वही उन्हें बार बार आपके बुटीक की ओर लाने में सहायक होगा। आप अपने रेगुलर डिस्प्ले के साथ साप्ताहिक थीम रख सकती हैं, कलर थीम ले सकतीं हैं और त्योहारों शादियों अथवा आपकी शैली से संबंधित कोई विशेष आकर्षण प्रस्तुत कर सकतीं हैं।
और हाँ, अब सबसे मुख्य होंगी लाइट, आईने और माहौल, लाइट आपके परिधान के लुक को और आकर्षक बनती हैं तो सफ़ेद की जगह पीली लाइट को चुनें। लाइट का फोकस आईने पर नहीं बल्कि व्यक्ति पर होना चाहिए।
आईने में अपने अक्स को देखे बगैर कोई भी अंतिम निर्णय नहीं ले पाता की फ़ाइनल कौन सी ड्रेस खरीदी जाये, तो ज़्यादा न भी सही पर एक फुल लम्बाई का आईना और उस स्थान पर कॅरक्टर को फोकस करती लाइट बहुत ज़रूरी है। जगह यदि आपकी अपनी है तो कोई खर्च नहीं होगा पर यदि आपको किराये पर लेनी पड़ती हैं तो किराये, बिजली आदि का खर्च भी नोट करें।
माहौल : बुटीक का माहौल बहुत सुकून देने वाला रखने की कोशिश करें लाइट म्यूजिक, हलकी खुशबु और आँखों को न चुभाने वाली लाइट इसके अलावा आपका बहुत फ्रेंडली बेहेवियर। ये सभी चीज़ें आपके बुटीक के अच्छे इम्प्रैशन के लिए बहुत मददगार साबित होंगी।
अगर आपके ग्राहकों को बिना कष्ट के आपके बुटीक पर पहुँचने को मिले और उसके बाद बढ़िया परिधानों के साथ साथ बहुत बढ़िया ट्रीटमेंट भी मिले तो यकीन जानिए उन्हें आपके पास बार बार आने से कोई नहीं रोक सकता।
इन सभी ख़र्चों का योग कर सोचिये की आपको अपना बुटीक खोलने के लिए कितनी राशि की आवश्यकता है और आपको कितनी राशि का बहार से इंतज़ाम करना होगा।

कुछ आवश्यक दस्तावेज़ (documents) :

अपने व्यवसाय को दृढ़ता एवं दीर्घायु देने के लिए इससे संबंधित सभी प्रकार के सरकारी दस्तावेज़ों का इंतज़ाम कर लेना चाहिए।
बुटीक का नाम : सबसे पहले तो आप अपने बुटीक का कोई बहुत आकर्षक सा नाम सोचिये जो न सिर्फ आपके काम को सूट करता हो बल्कि लोगों के मुँह पर भी आसानी से चढ़ जाये और जीवन भर के लिए आपकी पहचान बन जाये।
रजिस्ट्रेशन : भारत के हर जिले में सरकार की ओर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जिला उद्योग केंद्र स्थापित किये गए हैं। इस स्थान पर आपके बुटीक का नाम रजिस्टर करवा लें ताकि आपकी सोच को औद्योगिक रूप मिल सके।

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