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Showing posts from July, 2018

My Story : "विज्ञान का सुख या प्रकृति का आनंद"

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लघु कथा   "निशा चाय बन गयी क्या ?" राकेश ने अखबार से नजर हटाकर कहा। "नहीं आज अच्छा मौसम लग रहा है, बादल भी है और मिट्टी की महक भी है लगता है पानी बरसेगा इसलिए पकौड़ी बना रही हूँ। बना दूँ क्या? चाय में थोड़ी देर लगेगी।" निशा ने कहा।  "नेकी और पूँछ पूँछ ये भी कोई पूँछने की बात है" और वह अखवार पढ़ने में मग्न हो गया।  उधर निशा नाश्ता तैयार करने में लग गयी। तभी बादलों के गरजने की आवाज तेज हुई और पानी जोरों से बरसने लगा। जैसे ही बारिश की ठंडी हवा अखबार को धकेलती हुई राकेश के चेहरे को छूने लगी तभी राकेश अखबार टेबल पर पटक कर बालकनी की ओर दौड़ा।आज बाहर का नजारा बेहद सुंदर था। हालाँकि बारिश पहली बार नहीं हो रही थी, हर बार की तरह उतनी ही आकर्षक थी, पर आज छुट्टी थी और दुनिया भी कामों से दूर मन आजादी से मौसम का आनंद ले पा रहा था। धरती पर पड़ती बूँदें ऐसी लग रही थी मानो, बिरह में तड़पती प्रेयसी ने अपने पिया के लिए बाहें फैला दी हों। पेड़ों पर पड़ती बूँदों का अलग ही संगीत था। जैसे बारिश की ताल पर पौधों की पत्ती पत्ती नृत्य कर रही हो। हर पत्ता आईने की तरह चम...

Mom Feels :(Positive Mind Mapping)

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  Positive Mind Mapping    अक्सर रात को नींद से लड़ते हुए, मैं और मेरी खामोशी बहुत सी बातें करते हैं। कभी कबार तो लंबी चर्चा  हो जाती है, तो कभी बहस ही छिड़ जाती है। Ha Ha... फिर किसी एक बात पर राजी हो जाया करते हैं। पिछले दिनों हमारी चर्चा का विषय था कि मैं सारा दिन घर में सबसे ज्यादा काम करती हूं।  यह एक आम चर्चा का विषय है जिसे ज्यादातर ग्रहणीयाँ महसूस करती हैं। आँख खुलने से लेकर रात को सोने तक का एक टाइट शेडूल निभाते-निभाते हम थक जातीं हैं और बदले में जब कुछ भी ऐसा नहीं होता या मिलता जिसे देख कर अगले दिन फिर खड़े होने की हिम्मत मिल सके, तो ऐसे में अमूमन हम गृहणियों का मन टूट जाता है और शरीर साथ छोड़ने लगता है। चलो आपको जोक सुनाती हूँ: लड़का - तुम लडकियां विदाई के समय             इतना रोती क्युं है? लड़की - जब तुम जाऔगे ना           बिना सॅलेरी के दुसरों के घर           काम करने तब तुम भी रोओगे। हा हा हा ************************************  मेरे लेखन में...

"काव्य कथा" (साइकल ज़िन्दगी की !!)

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क्यों खामोश हूं मैं? 1 दिन बड़े प्यार से मेरी खामोशी ने मुझसे पूछा, क्यों ऐसा चुपचाप हुआ मन? क्यों खामोशी का साया है? मन ही मन में फिर खामोशी से बात हुई तो एक किस्सा था उसने सुनाया।  याद कर कितने अरमानों से मां बाबा ने एक साइकिल था तुझे दिलाया, यह साइकल जिंदगी की है !  नाम यह देख कर तुझे थमाया चलानी ये तुमको ही होगी, मदद भले हम कर देंगे, खुद ही जोर लगाना होगा, संतुलन भी रखना होगा, कोई सहारा साथ न होगा, गति भी तुमको तकना है उड़ाकर मन के गुब्बारे, मैं उड़ी चली फिर साइकिल पर जोर पैडल पर देते देते, मजे लेती थी हर पथ पर यूं ही गुजरे साल कई, मैं कभी नहीं खामोश रही चली जाती थी मेरे दम पर साइकिल मेरी जिंदगी की मेरे दम पर? हुsssss समय की धारा ने क्या बोलो, कभी किसी को बख्शा है? राह हमेशा समतल होगी, ऐसा तो नहीं होता है जीवन की पथरीले पथ पर, जब साइकिल के चक्के घूमे, मां बाबा का साथ भी छूटा और चक्के भी पिचक गए।  दुनिया की इस भीड़ में, मैं ही मैं से बिछड़ गई, उलझ गई फिर जीवन में और साइकल मेरी कोने में थी खड़ी। पूछा मैंने फिर खामोशी से:...

2कविताऐं "सपने"

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बीते कल के सपने  मेरे वो सपने जुड़े थे तुमसे तुम्हीं से मेरा ह्रदय जुड़ा था  तुम्हें जो पाया मन उड़ चला था  तुम्हीं से मेरा हर आसरा था  पर तुम्हें था प्यारा यह जहां सारा  ना मिल सका मुझे तुमसे सहारा  मैं छुप गई फिर निज दाएरों में  और छोड़ बैठी सपने सजाना फिर वक्त बदला नया दौर आया  मैंने भी जाना खुदी का फ़साना  यही, के यहां हमको जीना है अकेले  उठो और अपने सपने समेटो  नए तौर से इनको फिर से सजा लो  चलो! चलो! चलो! अब रुको मत!!  बस चलते ही जाओ।। मेरा सपना खुली नज़र का मेरा ये सपना,  बना रही हूं मैं एक घरौंदा  जहाँ सुनाई दें रहे हों ताने, कोई भी अपना ना मुझको माने ज़रा तो सोचो गुज़र हो कैसे उन महलों में मेरे अह्न की  हैं तो बहुत घर मेरे जहाँ में   बड़े जतन से जिन्हें सजाया पर किसी ने बोला तुम हो पराई किसी ने पूछा कहाँ से आई  इन जिल्लतों का बोझ है मन पर कुछ कर गुज़रना है अपने दम पर  कब तक रहूंगी मैं बोझ बन...

Mom Feels: "Scores of Blessings" (दुआओं की अंक तालिका)

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Scores of Blessings (दुआओं की अंक तालिका)   कभी सोचा है, अगर बच्चों को भगवान, आध्यात्म और दुआओं का मतलब समझाना हो तो? वह भी आजकल के बच्चों को जो हर बात पर लॉजिक ढूंढते हैं तो क्या कहकर समझाएंगे। मैं अपनी बेटी को कई समय से दुआओं के बारे में समझाने की कोशिश कर रही थी।  बड़ों की सेवा करने से, भगवान का नाम (जाप या प्रार्थना) करने से और सभी को सम्मान देने सेे दुआएं मिलती हैं। उन दुआओं से हमें हर काम करने मेें प्रभु जी से बहुत मदद मिलती है। एक 6 से 8 साल के बच्चे को यह बात समझाना बहुत मुश्किल है। ये बात तो बड़ी उम्र के समझदार लोगों को भी समझाना मुश्किल होता है। कई बार कई तरह की बातें करने के बाद भी जब मुझे लगा कि अब भी उसे कुछ खास समझ नहीं आ रहा और मैं अपनी बेटी को यह समझा नहीं पा रही हूँँ की हमारा व्यवहार और ईश्वर के आगे की गई प्रार्थनाओं का हमारे जीवन में कितना महत्व है।  मेरे लिए भाषा का सही  प्रयोग एवं आपसी व्यवहार बहुत मायने रखता है। पिछले कई समय से मैं अपनी बेटी के व्यवहार में कुछ अल्हड़ता एवं भाषा में कुछ क्रूरता महसूस कर रही थी, इसलिए उ...