Mom Feels :(Positive Mind Mapping)
Positive Mind Mapping
अक्सर रात को नींद से लड़ते हुए, मैं और मेरी खामोशी बहुत सी बातें करते हैं। कभी कबार तो लंबी चर्चा हो जाती है, तो कभी बहस ही छिड़ जाती है। Ha Ha...
फिर किसी एक बात पर राजी हो जाया करते हैं। पिछले दिनों हमारी चर्चा का विषय था कि मैं सारा दिन घर में सबसे ज्यादा काम करती हूं।
यह एक आम चर्चा का विषय है जिसे ज्यादातर ग्रहणीयाँ महसूस करती हैं। आँख खुलने से लेकर रात को सोने तक का एक टाइट शेडूल निभाते-निभाते हम थक जातीं हैं और बदले में जब कुछ भी ऐसा नहीं होता या मिलता जिसे देख कर अगले दिन फिर खड़े होने की हिम्मत मिल सके, तो ऐसे में अमूमन हम गृहणियों का मन टूट जाता है और शरीर साथ छोड़ने लगता है।
चलो आपको जोक सुनाती हूँ:
लड़का - तुम लडकियां विदाई के समय
इतना रोती क्युं है?
लड़की - जब तुम जाऔगे ना
बिना सॅलेरी के दुसरों के घर
काम करने तब तुम भी रोओगे। हा हा हा
************************************
चलो आपको जोक सुनाती हूँ:
लड़का - तुम लडकियां विदाई के समय
इतना रोती क्युं है?
लड़की - जब तुम जाऔगे ना
बिना सॅलेरी के दुसरों के घर
काम करने तब तुम भी रोओगे। हा हा हा
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मेरे लेखन में इस बात पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाता है। शायद इसलिए क्योंकि यह एक ऐसी आम परेशानी है, जो हर घर में महसूस की जाती है। औरतों के मन की यह परेशानी किसी जाति, धर्म, अमीरी, गरीबी की मोहताज नहीं है। हो सकता है किसी के पास कोई सहायक हो, जो उनकी मदद कर काम का बोझ बाँट ले, पर फिर भी.....
यहाँ तक की कुछ महिलाएं तो नौकरी भी करती हैं। फिर घर आकर अपना घर का काम भी करती हैं।ऐसे में उन पर दोगुनी जिम्मेदारी होती है।
यहाँ तक की कुछ महिलाएं तो नौकरी भी करती हैं। फिर घर आकर अपना घर का काम भी करती हैं।ऐसे में उन पर दोगुनी जिम्मेदारी होती है।
तो चाहे जो भी हो सच्चाई यह है कि, जब एक महिला, माँ, बहु, पत्नी और कुछ प्रोफेशनल रोल अदा करने लगे तो मान लीजिए कि उसकी हालत मशीन जैसी हो जाएगी।
एक बार को काम भी हो ही जाता है, पर असल मसला है परिवार के लोगों का अनुचित व्यवहार। महिलाओं का अपमान और उनके साथ अटपटी भाषा में बात करना मानो स्टैन्डर्ड ही बना लिया है। नौकरी या अपना बिजनेस करने वाली महिलाओं की और गहन समस्या है, कई घरों में कहा जाता है कि तुम नौकरी अपनी खुशी के लिए कर रही हो उस से हमें क्या, हमें तो हमारा सब काम समय पर चाहिए।
एक जान और इतने सारे काम और हर काम में परफेक्शन की डिमांड रहती है। तो कभी कभी ऐसा लगता है, कि मैं बहुत मेहनत करती हूं मेरी मेहनत का कोई मूल्य नहीं लगा रहा मेरा जीवन व्यर्थ है मेरी किसी को आवश्यकता नहीं, सब मेरा सिर्फ प्रयोग कर रहे हैं, मुझसे काम निकाल कर अपने काम आसान कर रहे हैं, और बदले में कोई मुझसे मेरा हाल तक नहीं पूछता और यदि पूछ भी ले तो वह सिर्फ मात्र एक औपचारिकता मालूम पड़ती है।
एक बार को काम भी हो ही जाता है, पर असल मसला है परिवार के लोगों का अनुचित व्यवहार। महिलाओं का अपमान और उनके साथ अटपटी भाषा में बात करना मानो स्टैन्डर्ड ही बना लिया है। नौकरी या अपना बिजनेस करने वाली महिलाओं की और गहन समस्या है, कई घरों में कहा जाता है कि तुम नौकरी अपनी खुशी के लिए कर रही हो उस से हमें क्या, हमें तो हमारा सब काम समय पर चाहिए।
एक जान और इतने सारे काम और हर काम में परफेक्शन की डिमांड रहती है। तो कभी कभी ऐसा लगता है, कि मैं बहुत मेहनत करती हूं मेरी मेहनत का कोई मूल्य नहीं लगा रहा मेरा जीवन व्यर्थ है मेरी किसी को आवश्यकता नहीं, सब मेरा सिर्फ प्रयोग कर रहे हैं, मुझसे काम निकाल कर अपने काम आसान कर रहे हैं, और बदले में कोई मुझसे मेरा हाल तक नहीं पूछता और यदि पूछ भी ले तो वह सिर्फ मात्र एक औपचारिकता मालूम पड़ती है।
पर देखा जाए तो यह सभी बातें कहीं ना कहीं कहने वालों के अपने मन की तसल्ली है। उन की सोच के दायरे इतने छोटे हैं कि वे इतना ही सोच पा रहे हैं । दूसरों से खुद के लिए उम्मीद रखने से बेहतर है कि क्यों ना हम खुद ही खुद को मोटिवेट कर लें।
इस लेख में मैं आपके सामने mind mapping के कुछ नुस्खे प्रस्तुत कर रही हूं।
माइंड मैपिंग का सरल भाषा मेंं मतलब है, अपने मन और मस्तिष्क को इस तरह से सोचने पर मजबूर करना जिस तरह आप खुश रह सके।
यदि हम हर वक्त दुख और तकलीफ सोचते रहेंगे तो हमारा मन और मस्तिष्क उसी हिसाब से डिजाइन हो जाएगा।
जब जिंदगी को जीना ही है तो खुश होकर ही जीना चाहिए। इसलिये हम अपने मन को सकारात्मक सोचने के लिए हिसाब से डिजाइन कर लेते हैं।
माइंड मैपिंग का सरल भाषा मेंं मतलब है, अपने मन और मस्तिष्क को इस तरह से सोचने पर मजबूर करना जिस तरह आप खुश रह सके।
यदि हम हर वक्त दुख और तकलीफ सोचते रहेंगे तो हमारा मन और मस्तिष्क उसी हिसाब से डिजाइन हो जाएगा।
जब जिंदगी को जीना ही है तो खुश होकर ही जीना चाहिए। इसलिये हम अपने मन को सकारात्मक सोचने के लिए हिसाब से डिजाइन कर लेते हैं।
अब हम रोज की इन बातों को एक अलग मोड़ से दिखते हैं।
SELF ESTEEM
SELF ESTEEM
🍁हर एक काम का आंकलन करते हैं, और महसूस करते हैं कि चाहे कोई मेरे काम का मूल्य लगाएं या ना लगाएं, पर प्रभु ने एक बहुत अहम जिम्मेदारी मेरे कंधों पर रखती है, जिसे मैं बखूबी निभा रही हूं। सब कुछ वैसा ही है पर आपका नज़रिया बदलना है।
🍁किसी का काम करना इतना आसान नहीं होता। यह सिर्फ मां, पत्नी और बहू ही है जो लोगों के लिए जीती है। और हमारा धर्म भी तो यही कहता है ना कि खुद से हटकर औरों के लिए जी के देखो। शायद यह महिला जन्म हमको अपने पिछले कर्मों को सुधारने के लिए एक मौका जैसा है कि हम सब की सेवा कर रहे हैं। उसमें कुछ बूढ़े हैं, बच्चे भी हैं और शायद कुछ ऐसे जो अपने काम में इतने व्यस्त हैं कि वह अपने मूल काम भी स्वयं नहीं कर पाते।
🍁हमारी skills, हमारी काम करने की क्षमताएं, हमारी सबसे बड़ी ताकत और आत्मविश्वास का स्त्रोत हैं। ऐसे में हमें सबसे पहले खुद को ही प्रोत्साहित करना चाहिए कि ईश्वर ने हमें इतना सक्षम और संवेदनशील बनाया है कि, हम अपने से हटकर औरों के प्रति समर्पित हो पाती हैं।
SELF CONFIDENCE
🍁जिस तरह कंपनीज में टाइम टाइम पर मोटिवेशनल ट्रेनिंग देकर कर्मचारियों का आत्मबल आत्मविश्वास और काम करने की क्षमता को बढ़ाया जाता है। उसी तरह यदि हम भी अपनी मनपसंद एक्टिविटीज (Hobbies) करके खुद को मोटिवेट कर सकते हैं इससे हमारा मन हमेशा तरोताजा महसूस करता रहेगा।
🍁जब हम खाना पकाती हैं तो हम सबको पेट भरने में सहायता करती हैं। यदि खाना बहुत स्वादिष्ट होता है तो ना सिर्फ पेट भरता है बल्कि मन नहीं प्रफुल्लित हो जाता है।
🍁 जब हम घर की सफाई कर उसे सजा धजा कर रहने योग्य करती हैं तब उसकी सुंदरता स्वच्छता सभी के स्वास्थ्य और निगाहों को तृप्त कर हमारे लिए कहीं ना कहीं प्रेम भाव दे ही देती हैं।
🍁तो समझने वाली बात यह है कि जिस प्रकार किसी कंपनी में सभी की अपनी-अपनी ड्यूटी इस बंधी होती है। उसी तरह हमारा भी अपने घर के प्रति एक वर्क प्रोफाइल है। हर बार बदले में कोई भौतिक वस्तु का मिलना तो आवश्यक नहीं होता।
POSITIVE ATTITUDE
यहां सब अपनी ड्यूटी कर रहे हैं तो हम भी अपनी ड्यूटी करेंगे इस पर मन को भारी नहीं कर खुश रहने की कोशिश की जाए तो शायद हम ज्यादा अच्छा महसूस कर पाएंगे और ज्यादा अच्छा अपनों को दे पाएंगे।
🍁यह सच है कि सामने वाले को भी चीजों की नाजुकता को समझना चाहिए। औरत के शरीर की सीमाओं को भी समझना चाहिए। पर औरों को बदलना हमारे बस की बात नहीं होती।
यह तो बड़े-बड़े धर्म ग्रंथों में भी लिखा है कि अगर बदलना ही है तो हमें खुद को ही बदलना होगा लोगों को बदलने की ना तो हममे क्षमता है और ना ही हम बदल पाएंगे।
तो ऐसे में दूसरों के बदलने या ना बदलने की चिंता में खुद की आंतरिक खुशी को दांव पर क्यों लगाना?
🍁 कुछ लोग औरतों को मशीन की तरह इस्तेमाल करते हैं और हर वक्त कोई ना कोई काम बता कर उन्हें थकाते रहते हैं। इसका जवाब मेरी ही चर्चा में मुझे मिला कि यह भी मुझ पर ही निर्भर है कि मुझसे कितना काम हो रहा है मैं उतना ही करूं।
🍁यदि कोई मुझसे मेरी क्षमता के ऊपर काम की उम्मीद करता है या काम कह देता है तो मुझे प्रेम से उसे मना करना आना चाहिए। यह समझा देना चाहिए कि मैं कर दूंगी पर उसी वक्त हो पाएगा यह जरूरी नहीं सामने वाले को अपनी क्षमताओं की सीमा जताना भी आवश्यक है। अपनी थकान सामने वाले को महसूस करानी है जतानी नहीं है, इन दोनों ही शब्दों में फर्क है। हम किसी को अपनी परेशानी बता कर उसे नीचा दिखाते हैं जो अच्छी बात नहीं अपनी परेशानी बता कर उसे कुछ देर के लिए रुकने या आगे आने वाले समय में काम हो जाने की संतुष्टि देकर शांत करना है।
सकारात्मक तरीके से अपनी बात मनवा ली जाए तो आप भी अपनी कुंठा की शिकार नहीं होंगी और सामने वाले को भी आप के विपरीत सोचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा।
नोट:- इस लेख में "मैं" शब्द का प्रयोग सभी महिलाओं को प्रदर्शित कर रहा है। इस लेख का मूल उद्देश्य स्वयं को ऊर्जा देकर अपनी सोच में उचित परिवर्तन लाकर अपने रूटीन में खुश रहने की आदत डालकर अपने जीवन में आगे बढ़ने के तरीकों को समझाने की कोशिश की गई है।
मेरी प्यारी सखियों यदि आपको मेरी बात सही लगती है और मेरी और मेरी खामोशी की एक चर्चा आपकी और आपकी खामोशी की चर्चा का हिस्सा बन पाई है तो प्लीज अपने सुंदर कॉमेंट मेरे साथ शेयर कीजिए और इस इंटरनेट के माध्यम से दूर रहकर ही सही हम हमारी सहेली हमारी दोस्ती को कबूल कीजिए
!!धन्यवाद!!
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