Mom Feels: "Scores of Blessings" (दुआओं की अंक तालिका)



Scores of Blessings
(दुआओं की अंक तालिका) 
 कभी सोचा है, अगर बच्चों को भगवान, आध्यात्म और दुआओं का मतलब समझाना हो तो? वह भी आजकल के बच्चों को जो हर बात पर लॉजिक ढूंढते हैं तो क्या कहकर समझाएंगे।
मैं अपनी बेटी को कई समय से दुआओं के बारे में समझाने की कोशिश कर रही थी।  बड़ों की सेवा करने से, भगवान का नाम (जाप या प्रार्थना) करने से और सभी को सम्मान देने सेे दुआएं मिलती हैं। उन दुआओं से हमें हर काम करने मेें प्रभु जी से बहुत मदद मिलती है। एक 6 से 8 साल के बच्चे को यह बात समझाना बहुत मुश्किल है। ये बात तो बड़ी उम्र के समझदार लोगों को भी समझाना मुश्किल होता है।

कई बार कई तरह की बातें करने के बाद भी जब मुझे लगा कि अब भी उसे कुछ खास समझ नहीं आ रहा और मैं अपनी बेटी को यह समझा नहीं पा रही हूँँ की हमारा व्यवहार और ईश्वर के आगे की गई प्रार्थनाओं का हमारे जीवन में कितना महत्व है।

 मेरे लिए भाषा का सही  प्रयोग एवं आपसी व्यवहार बहुत मायने रखता है। पिछले कई समय से मैं अपनी बेटी के व्यवहार में कुछ अल्हड़ता एवं भाषा में कुछ क्रूरता महसूस कर रही थी, इसलिए उसके मासूम दिमाग को अभी से ही आध्यात्मिक दिशा देना बहुत आवश्यक हो गया था। मैं तरह-तरह के प्रयोगों में लग गई कि किसी तरह उसे येे समझ आ जाए कि उसके गलत व्यवहार से लोगों को बुरा लग सकता है और अच्छे  व्यवहार से उसे दुआओं का कीमती खजाना मिल सकता है।

अब जब मेरी बिटिया 8 साल 6 महीने की हो गई है और मुझे लगा कि अब वो बातों को कुछ समझने लगी है, तब मैंने उसे दुआओं, प्रार्थनाओं तथा आशीर्वाद जैसे काल्पनिक शब्दों को समझाने के लिए उसके स्कूली रिजल्ट में मिलने वाले scores को उदाहरण बनाकर  दुआओं और प्रार्थनाओं से हमारे जीवन में होने वाले  अच्छे और बुरे कामों को क्रमशः ज्यादा या कम अंकों की प्राप्ति के माध्यम से समझाने की कोशिश की।
 मैंने उससे कहा कि जिस तरह हम पढ़ाई करके एग्जाम देते हैं और हमें हमारे लिखे हुए उत्तर के हिसाब से अंक मिलते हैं, उसी तरह जब हम किसी से अच्छा व्यवहार करते हैं, बड़ों की सेवा करते हैं, सबसे आदर सत्कार से बातें करते हैं और ईश्वर को प्रतिदिन याद कर प्रार्थना करते हैं तो हमारे अंक बढ़ते जाते हैं।पर सदी हम ऐसा नहीं करेंगे तो धीरे-धीरे ये अंक घटते भी हैं।

उसने मुझसे पूछा, पर मेरी आंसर शीट में जो मार्क्स एक बार मिल जाते हैं वो तो फिर नहीं कटते। मैंने उसे कहा तुम्हारी बात सही है पर परीक्षा भी तो बार बार होती रहती है ना। अगले एग्जाम की तैयारी आपको फिर करनी पड़ती है अगर तैयारी में कमी हो तो अगले एग्जाम में मार्क्स कम हो सकते हैं। 
उसी तरह जब हम अच्छा व्यवहार करके कुछ अंक प्राप्त करते हैं, तो बुरा व्यवहार करके उनमें से कुछ अंक घट भी जाते हैं।
 अब उसका सवाल था कि इन अंकों के घटने-बढ़ने से मुझे क्या फायदा या नुक्सान होगा। मैंने उसे बताया कि जब तक आपके पास ये अंक हैं, तब तक भगवान आपके साथ आपकी बुलेट प्रूफ जैकेट बनकर रहते हैं आप जब कभी भी मुश्किल में फंस जाते हो या कहीं घर से बाहर जाते हो, अकेले होते हो तब वह आपका पूरा ध्यान रखते हैं आप एक बार भगवान को बुलाओगे वह उसी समय आकर आपका किसी न किसी रूप में सहारा बन ही जाएंगे। यदि आपने अपने अंक खो दिये तो आपको उसकी सजा मिलती है जैसे कहीं चोट लग जाना या आप का काम बिगड़ जाना या फिर आंसर याद होते हुए भी ना लिख पाना या बहुत अच्छा खेलने के बावजूद भी हार जाना सुंदर ड्राइंग बनाई और खराब हो जाना वगेहरा वगेहरा।

 वह एक दो दिन तक तो इस बारे में सोचती रही और अनेकों सवाल करती रही। मैंने उसे कागज पर बताया कैसे एक एक अच्छे काम के अंक बढ़ते हैं और कैसे एक एक गलती के साथ अंक हो जाते हैं और जैसे पॉइंट्स कम होते हैं हमें भगवान का आशीर्वाद भी कम मिलता है।
 मैंने उससे कहा कि ईश्वर को इतने सारे बच्चों का ध्यान रखना होता है तो ज़ाहिर है जो बच्चा उनके नियमों का उल्लंघन करेगा भगवान उसकी तरफ कम देखेंगे और अपने आज्ञाकारी बच्चे की तरफ हमेशा उनका आर्शिवाद बना रहता है।

 इसी दौरान एक दिन उसने मुझसे शाम को पाक ले जाने को कहा। शाम को जब हम पार्क जाने के लिए तैयार हो रहे थे तो अचानक बादल घिर आए और रिमझिम बारिश होने लगी, बिटिया का मन बहुत खराब हो गया,  उसने कहा, "आज तो मुझे झूला झूलने का बहुत मन था।" मैंने उससे कहा कि तुम प्रभु से प्रार्थना करो कि मुझे खेलने दे शायद तुम्हें वे पार्क जाने में तुम्हारी मदद कर दें। उसने अपनी आंखें बंद करके मन में कुछ बात की और हम दोनों बाहर आंगन में मौसम ठीक होने का इंतजार करने लगे। कुछ ही देर में बाई द वे बारिश बंद हो गई और हम लोग पार्क जाकर खेलने लगे। वापसी में बिटिया ने मुझसे कहा, "मम्मी आज तो मुझे मेरे अच्छे बिहेवियर के लिए प्रभु जी ने एक्स्ट्रा मार्क्स के रूप में पार्क में खेलने का मौका दिया, है ना? " यह सुनकर मुझे तसल्ली हुई कि चलो अब मेरी बिटिया को मेरी बात समझ आ गई और मैंने प्रभु से धन्यवाद करते हुए गहरी सांस ली।

माना कि बच्चों को इस तरह की चीजें समझाना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि आपके पास कोई जीवंत उदाहरण नहीं होता। पर अपनी बातों को समझाने के लिए बच्चा आसानी से समझ पाए एसी भाषा बना कर कोशिश की जा सकती है । क्योंकि इसी उम्र से 

छोटी उम्र से ही धीरे धीरे आध्यात्म, शुद्ध विचार, दूसरों से उचित व्यवहार आदि का ग्यान देना होगा। ये ही सही उमर है जब इन नन्हें को समाज के लिए एक इंसान के दायित्वों को समझाने चाहिए।
 इसके बाद परिपक्वता आ जाएगी और बच्चा उसी आदत को दोहराता रहेगा जो वह बचपन से करता आया है। आज के दौर में जहां सबकुछ डिजिटल और लोग अकेले हो गए हैं कोई किसी को संस्कार, वॉल्यूम जैसी चीजें नहीं सिखाता जिसका खामियाजा समाज, और फिर दूर जाकर कहीं हम भी भुगतते हैं। वरना क्यों हम इस बात को नहीं समझते कि अगर आज बुजुर्ग वृद्ध आश्रम में हैं या बच्चे अपनी पढ़ाई और नौकरियों के लिए दूर विदेशों में जाकर बस जाते हैं और हजारों फोनों के बावजूद कोई एक कॉल बड़ी मुश्किल से उठाते हैं या कोई और ऐसी समस्या जिससे हम अपने युवा वर्ग को कोसते हैं तो उसके लिए कहीं ना कहीं हमारे अभिभावक, हमें पालने वाले बहुत हद तक जिम्मेदार होते हैं क्योंकि जैसा हमने बोला हमें वैसा ही मिलेगा।
मैं यह नहीं कहती कि कल, आने वाले समय में मेरी बेटी मेरा बहुत ध्यान रखेगी, हर वक्त मेरे साथ साए की तरह रहेगी।
 भविष्य में उसकी भी अपनी जिंदगी होगी। पर कम से कम अपने उच्च स्तरीय व्यवहार के साथ वह अपने समाज में, अपने सर्कल में अपनी खुद की एक अच्छी पहचान एक अच्छे व्यक्तित्व के रूप में खुद को प्रस्तुत कर पाएगी, शायद तब मुझे सबसे ज्यादा संतुष्टि होगी। 

यह लेख यदि आपको पसंद आया हो तो कृपया कर अपने कॉमेंट्स द्वारा मुझसे संपर्क कीजिए और इसमें अगर आपके कोई और विचार हो तो कृपया कर मुझे बताइए।
 धन्यवाद

Comments

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  2. Mam, आपने बहुत बढ़िया समझाया है ☺️

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  3. Namaste, Ramanji. As usual, a very much needed topic you have touched. It is so beautifully expressed in your amazing choice of Hindi vocabulary. From all your writings, I can derive one fact. You are a believer of truth and you radiate a light of righteousness in all your dealings. Your little girl shall surely follow your well led path. Keep writing and sharing.

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  4. Thank u very much ji..
    I'm overwhelmed to receive ur words.
    Plz be with my words..
    Regards
    Raman

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  6. Its very nice to see your words r very good.... Keep it up...

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  7. Mam aap ne bahut ache se samjhaya apni beti ko har parents ko apne bachon ko aise hi samjhana chahiye .Mujhe bhu bhut kuch sikhne ko mila aapke iss lekh se

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    1. Mujhe Bahut khushi Hui Aapka comment pad kar plz mere sath bane rahiye🙏😊

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