Hindi poem "ऐ मालिक "



ऐ मालिक!
ज्यादा नहीं,
बस इतना करम करना
आँखों में शरम रखना
हाथों में धरम रखना
अपनी मर्यादाऔं का ज़हन में अदब रखना
ऐ मालिक!
ज्यादा नहीं,
बस इतना करम करना
बढ़ते कदमों को पिछले से बेहतर रखना
अच्छाई ना छूटे, ज़रा नज़र रखना
किरदार ऐसा देना कि,
पर्दा गिर भी जाए चाहे, पर ,
देर कर बजती रहें तालियाँ, इज्जत एसी बनाए रखना।।
ऐ मालिक!
ज्यादा नहीं,
बस इतना करम करना।।

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