नारी शक्ति को दर्शाति कविता : तुम बिन



मैं जी नहीं पाऊँगी तुम बिन
हाँ, जी नहीं पाऊँगी तुम बिन
चाहे रिश्ते हजार मिल जाए पर साथ न कोई भी तुम बिन
चाहे नाम अनेकों पड़ जाए, पहचान नहीं मेरी तुम बिन
चाहे काम पहाड़ से बढ़ जाए पर शक्ति नहीं होती तुम बिन
चाहे वक्त बहुत कम रह जाए, पर मूल्य नहीं मेरा तुम बिन
ये तय है, मेरा अनुभव है
मैं जी नहीं पाऊँगी तुम बिन
तुम,
कौन हो तुम?
तुम मेरी हस्ती का कारण हो
तुम मेरा स्वाभिमान भी हो
तुम मेरे अंदर देख रही प्रकाश पुंज की ज्वाला हो
मैं नारी हूं और शक्ति भ,  तुम मेरा आत्म संबल हो
तुम मेरा संयम कोष भी हो और ममता की नौ निधी धारा भी
तभी……
चाहे कोई साथ ना रह पाए, पर साथ मेरे तुम हो हर क्षण
चाहे युद्ध अनेकों हो जीवन में, पर स्नेह तुम्ही से है हर क्षण
चाहे कोई पुकार न सुन पाए, तुम सुनते रहते हो हर क्षण
चाहे मन ना कहीं बहल पाए, दिल को समझाते तुम हर क्षण
तो ये तय है, मैंने देखा है
मैं जी नहीं पाऊँगी तुम बिन
हाँ, जी नहीं पाऊँगी तुम बिन
 

Comments

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" 24 अक्टूबर शनिवार 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Mom Feels: "Scores of Blessings" (दुआओं की अंक तालिका)

हिन्दी कविता "उमंग"

2कविताऐं "सपने"