संतान सुख



संतान सुख

 नीले आसमां के पार जो भगवान रहता है
 उसने बच्चों में खुद ही को जीवंत भेजा है
 कहीं राधा भेजी है तो कहीं कान्हा भेजा है
औलाद जैसा कीमती खजाना भेजा है

 पुत्र और पुत्री का होना भाग्य पर निर्भर सही
रीत दोनों के जन्म की एक ही विद्युत रही
दोनों ही है अंश माता और पिता के स्नेह का
कौन है वह साहसी जो प्राण तरीके ले सका

बेटा बेटी के नियम में वर्गीकरण हो क्यों भला
लड़की करे सब काम दिन भर लड़का केवल शान का बुद्धि बल सब एक सा है अंतर है आकार का
बच्चों को समतुल्य मानव धर्म ही इंसान का

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