Hindi poem "Aksar ik Sawal sa"



अक्सर इक सवाल सा…….
पूछा है जिंदगी से यह सवाल कई बार  आखिर मुझे है किस बात का इंतजार
जिंदा हूं मैं क्योंकि सांसे है बर्करार
पर जज्बातों के भीतर घुटन क्यों है बेशुमार
क्यों जिए जा रही हूं बेमक़सद दिन-रात  गर नहीं है कोई मंजिल तो क्यों खुश नहीं होता मन हकीकत के साथ
क्यों उलझते हैं जहन में अनेकों सवाल
क्यों नहीं मिलता इन सवालों को जवाब
कारवाँ -ए -ज़िन्दगी हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं,
ये किया नहीं, वो हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं
सभी सवालों का बस एक ही है जवाब
ज़िन्दगी जीना है तो रोमांच मन में उतार
 वक्त बहुत कम है हम सबके पास
मिला है जो भी वो नेमत है रब कि
सवालों को छोड़ और जीने की ठान
रास्ता खुद ब खुद निकल आएगा इक रोज़
वक्त से पहले और नसीब से ज्यादा किसको मिला है यह सोच ।।

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